Phd Full Form
Phd ka full form सुनने में थोड़ा अजीब सा लगता है क्योंकि ये सामान्य fullforms से भिन्न है। phd ka full form, Doctor of Philosophy होता है। यह एक doctoral degree है। इसको doctorate of philosophy भी कहा जाता है। यह विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदत्त एक उच्च शैक्षिक डिग्री है।
- Phd Ka Full Form – Doctor of Philosophy होता है जिसे doctorate of philosophy के नाम से भी जाना जाता है।
Phd पूर्ण करने के उपरांत उस व्यक्ति विशेष के नाम के पहले “Dr.” लिखा जाने लगता है, जो इस डिग्री की अहमियत तथा गरिमा को दर्शाता है। इस डिग्री को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति उस विषय मे expert बन जाता है, जिसमे उसने phd की है।
पीएचडी यानी डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी। इसे करने पर विभिन्न विषयों में आपको डॉक्टर की उपाधि प्राप्त होती है।पीएचडी की न्यूनतम योग्यता एम ए है।इसके साथ ही आपको ñet की परीक्षा भी क्वालीफाई करनी होती है। इसके बाद ही आप प्रोफेसर बनने के योग्य हो पाते हैं।

पीएचडी का फुल फॉर्म डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी होता है। यह डॉक्टोरल डिग्री रहती है। यह विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली एक अच्छी डिग्री रहती है। पीएचडी होने के बाद जिस भी व्यक्ति ने यह डिग्री हासिल की है, उसके नाम के आगे डॉक्टर लिखा जाने लगता है। यह उस डिग्री की अहमियत बताता है। पीएचडी डिग्री करने वाले को उस विषय में एक एक्सपर्ट के रूप में देखा जाता है।
शिक्षा केवल पैसा कमाने या जॉब के लिए नहीं होनी चाहिए। नौकरी के साथ सम्मान भी बेहद जरूरी होता है, जो पीएचडी डिग्री दिलाता है। पीएचडी के साथ एक बेहतरीन नौकरी के साथ इज्जत भी मिलती है। किसी विशेष विषय पर शोध के उपरांत उस विषय मे doctorate की डिग्री विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाती है ।
क्या Phd करने के लिए मास्टर डिग्री लेना अनिवार्य है?
दोस्तों पीएचडी करने के लिए मास्टर डिग्री लेना अनिवार्य है क्या या फिर यू कर सकते हैं की ट्वेल्थ करने के लिए 10th जरूरी है क्या ग्रेजुएशन करने के लिए ट्वेल्थ करना जरूरी है क्या इसी तरह से पीएचडी करने के लिए भी मास्टर की डिग्री लेना अनिवार्य है मास्टर की डिग्री लेते ही आपके नाम के आगे डॉक्टरेट लग जाएगा मतलब कि आपको उस विषय में पूरी जानकारी होना अब पूरी जानकारी होने का मतलब है
कि आप किसी भी विषय में b.a. m.a. या फिर बैचलर डिग्री या मास्टर डिग्री हासिल करें उसी के बाद आप पीएचडी कर सकते हैं तो आपके सवाल का सीधा सीधा जवाब यही है कि बिना मास्टर डिग्री की है आप पीएचडी नहीं कर सकते
Phd करने की प्रक्रिया क्या है?
यह विभिन्न विश्वविद्यालयों में अलग होता है। लेकिन सामान्य रूप से प्रबंध के लिए यह कुछ ऐसा हो सकता है:
- एक लिखित परीक्षा और एक इंटरव्यू, दाखिले के लिए
- पाठ्यक्रम का एक वर्ष जिसमें शोध पद्धति और आपके क्षेत्र के विषय शामिल हो सकते हैं और उनकी परीक्षा
- इसके अंत में एक बड़ी योग्यता परीक्षा और मौखिक-परीक्षा
- फिर आपका अनुसंधान वास्तव में शुरू होता है
- इसके बाद आपके काम के संबंधित कुछ सेमिनार
- फिर प्रस्ताव रक्षा पुरी समिति के सामने
- फिर डेटा संग्रह और विश्लेषण
- इसके बाद थीसिस लिखना और जमा करना यदि आपके पास प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में अच्छे प्रकाशन हैं
- फिर परीक्षकों की नियुक्ति – आंतरिक और बाहरी दोनो
- अंत में थीसिस रक्षा
- परीक्षकों की टिप्पणियों के आधार पर थीसिस भी संशोधित करना पड सकता है
इन सबके अलावा, हर सेमेस्टर में नियमित प्रस्तुतियां।
कुल मिलाकर चार से आठ साल लग जाते है पीएचडी का सफ़र तय करने मे जिस दौरान आपको स्टाइपंड पर ही गुज़ारा करना पड़ता है।
phd पीएचडी करने के लिए कितने साल लगते है?
इसका जवाब बहुत सी बातों पर निर्भर करता है, आपका PHD विषय क्या है, आप अगर प्रयोग कर रहे हैं तो प्रयोग की अवधि कितनी है, आपको डाटा कलेक्शन किस तरह का है, कितना समय लेगा, और सबसे बड़ी बात आप की कार्य करने क्या है.
कुछ लोग २ साल में भी कर लेते हैं कुछ ८ से १० साल भी लगा देते हैं.
आपका गाइड से सम्बन्ध भी काफी निर्धारित कर देता है कि कितना साल का रण होगा।
इसी सवाल के जवाब पर २-३ साल पहले लाइने लिखीं थी, जब हम अपने शोध से ऊब चुके थे.
तब युधिष्ठिर ने कहा ‘हे यक्ष! आप ने इतने सवाल पुछे, एक मेरे सवाल का जवाब दे दीजिये, महान कृपा होगी.’
यक्ष बोला ‘पूछो धर्मराज’.
युधिष्ठिर बोले ‘phd कितने समय में पूरी होती है?’
यक्ष बोला ‘मैं तुम्हारे सभी भाईयों को जीवित कर रहा हूँ’ ऐसा कहते हुऐ यक्ष अदृश्य हो गये.
–वेदव्यास
PHD KARNE KE LIE KITNE SALL LAGTE HAI
ये बहुत सी बातो पर निर्भर करता है।
- आप किस विषय में PHDकर रहे है।
- आपका टॉपिक किस प्रकार का है।
- आपका गाइड कितना सहयोग करते है।
- विषय में आपकी कितनी रुचि है
- PHD के लिए पर्याप्त संसाधन है की नहीं।
- अनुसंधान के डाटा प्राथमिक है या द्वितीयक।
- डाटा आपको कितनी आसानी से मिल रहे है।
- किसी किस्म का मानसिक तनाव तो नहीं है।
फिर भी PHD न्यूनतम 26 माह से लेकर अधिकतम 8–10 साल हो सकते है।

पीएचडी phd करने के क्या फायदे हैं?
वैसे तो कुछ भी करने से पहले उसके फायदे और नुकसान का पूर्वानुमान हो तो अच्छा है नहीं तो बजरंगबली का नाम लेके कूद पड़ो जंग में.
लेकिन यहाँ सवाल पीएचडी अर्थात शोध का सवाल है तो बता दें यहाँ सिर्फ बजरंगबली का नाम लेके कूदना उचित न होगा.
पहले फायदे फिर कायदे …
शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं, –आचार्य चाणक्य
अगर आपने अध्धयन को अपना शौक और जूनून बना रखा है और चाहते है कुछ अलग करना तो पीएचडी जरूरी है, आप जैसा जीवन चाहते है वैसा जी सकते है| हाँ, लेकिन शीघ्र लाभ नहीं मिलेगा और शीघ्र लाभ चाहते है तो दुसरे देश में में जाएँ अन्यथा कुछ समय या थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है| आपके सही समय पे लिए गए फैसले पर निर्भर करेगा जो उस समय आप सक्षम होंगे, उस समय को आप बजरंगबली पे छोड़ सकते है.
फायदे
- आप सही में अपने नाम के आगे डॉ लगाने के सही में हक़दार हो जायेंगे.
- सरकार आपको हर संभव मदद करेगी, छात्रवृत्ति के साथ जो आजकल 25000 से लेकर 50000 तक है
- आपके किये हुए शोध को देश विदेश में सराहा जा सकेगा आपकी मांग होगी
- आप सिर्फ शोध के दम पे दुनिया के किसी भी कौने में जाकर उच्च संश्थाओं में अपना पक्ष रख सकेंगे
- लोग आपको सुनने के लिए तैयार रहेंगे और बड़ी बड़ी कंपनी से महंगे प्रस्ताव भी मिल सकते है
- आपका जीवन उच्च स्तर का होगा
- समाज के बेहतरीन और अच्छे लोगों में आपका नाम और सम्मान होगा और आगे भी होता रहेगा
लेकिन ;-
- जीवन के शुरुआत में मेहनत ज्यादा होगी ,
- दीन दुनिया से थोड़ा अलग होना पड़ेगा
- लोग आपको पागल कह सकते हैं , लेकिन उनके कुछ भी कहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि तब सबके बस का नहीं होगा आपको समझना , लेकिन आप सबको समझने में सक्षम होंगे (९०%)
करना क्या होगा:-
कायदे..
स्नातक या उससे पहले योजना बनाना सबसे उत्तम रहेगा, कोशिश ये २५ से ३० तक पीएचडी हो जानी चाहिए, जिसके लिए, UGC-NET/GATE के साथ स्नातक में बहुत अच्छे नंबर और/ या परास्नातक के साथ भारत के सबसे अच्छे संश्थानो में प्रवेश और मेहनत से शोध कार्य करेंगे तो ४-५ साल का समय अगर परास्नातक के बाद गए हो, लेकिन अगर गुरु अच्छा मिल जाये तो ३ साल के अंदर ही आप डॉ बन सकते हैं, इसके साथ ही
- ईमानदारी का दामन कभी न छोड़े
- धैर्य बनाये रखे
विशेष टिपण्णी :
- हो सके तो पीएचडी देश के बाहर से करें
- या यहाँ से करने के बाद देश के बाहर चले जाएँ
- क्योंकि अपने जीवन का अमूल्य समय देने के बाद इस देश में आपको कोई विशेष सम्मान मिलेगा ये जरूरी नहीं, हाँ देश के बाहर हालात बेहतर हैं,
- देश प्रेम ज्यादा जाग जाये तो कभी भी आ सकते हैं, यहाँ आने के बाद हर संसथान आपके लिए अलग दर्जा देगा, लेकिन फिर भी कोशिश रहे की सरकारी संश्थान से जुड़ें, निजी संसथान से जुड़ने से बचे, पैसे अच्छे देंगे लेकिन मान सम्मान का कोई भरोसा नहीं
लेकिन…………………..ख़त्म करने से पहले में ये भी
अपने देश में पीएचडी तीन प्रकार के लोग करते हैं,
पहले वह जो सही में अध्यन या शिक्षण के क्षेत्र में कुछ नया और अलग शोध करना चाहते है और अपने चुने हुए पसंदीदा क्षेत्र में नाम और आत्मा सम्मान से जीना चाहते हैं, ऐसे लोग कम हैं उनमें से जो कुछ पहली पंक्ति वाले दुसरे देश में और चले जाते हैं और पहली श्रेणी की पहली पक्ति के लोग देश के उच्च संस्थानों में चले जाते हैं, बाद में इसके के एक और श्रेणी निकलती है और वह भी देश छोड़ के चले जाते हैं,
इस पहली श्रेणी की दूसरी पक्ति के दुसरे कतार वालों को सरकारी संश्थानो में जगह मिल जाती है अपना जीवन यापन करते रहते हैं, जो कुछ बच जाते है उनको भी थोड़ा सब्र के साथ मिल जाता है और सब सही हो जाता है. ऊपर लिखी सभी बातें इनके दायरे में आती है |
अब आते हैं दुसरे प्रकार के लोग जो इस क्षेत्र में हैं तो लेकिन किन्ही कारणों से पीएचडी डिग्री न होने से उनको आगे बढ़ने के मौके नहीं हैं/या बंद हो गए, इनमें भी जो सरकारी संस्थानों में हैं वह सरकारी मदद से सरकारी मदद से फिर से मेहनत करके फिर पहली प्रकार में पहुँच जाते है,
दुसरे वह जिनको येन केन प्रकारेण पीएचडी डिग्री चाहिए क्योंकि निजी संस्थानों में शिकंजा कसने के लिए देश की संस्थाएं जैसे AICTE, UGC और उनकी आका MHRD ने कहा है बिना पीएचडी डिग्री के आगे बढ़ना या घुसना मुश्किल होगा, ऐसे लोग कोशिश करके पहली श्रेणी में पहुँचने के प्रयास करके हासिल भी कर लेते है| ऊपर लिखी कुछ बातें इनके दायरे में आती है
तीसरे प्रकार के लोग वह जो इस क्षेत्र में हैं/ या आना चाहते हैं ( ज्यादातर हालत के मारे होते है और ये हालात उनके द्वारा ही उत्पन्न किये होते है, जिन्होंने लिए ये प्रचलित है :-जिनको कुछ नहीं मिलता वह अध्ध्यापन को अपना पेशा बना लिया ) और उनको बताया गया बस पीएचडी डिग्री ले आओ बाकि हम देख लेंगे और न ला पाओ तो भी बता देना दिलवा देंगे बस तुम आ जाओ.
इनकी तादाद देश में सबसे ज्यादा है इनकी वजह से देश में नया रोज़गार पैदा हो गया निजी संस्थानों के लिए पीएचडी डिग्री देने का और कुछ ने इसका बाकायदा एक स्टार्टअप कहलो या धन्दा जिन्होंने समाज सेवा करने को ये मौका नहीं छोड़ा, पीएचडी करवाने का जिसकी कीमत अमूमन ३-४ लाख तक होती है और घर बैठे डिग्री प्राप्त करें.
ऊपर लिखी किसी भी बात का इससे कोई लेना देना नहीं होता | ज्यादातर हालत के मारे होते है और ये हालात उनके द्वारा ही उत्पन्न किये होते है, जिसके लिए ये प्रचलित है जिनको कुछ नहीं मिलता वह अध्ध्यापन को अपना पेशा बना लिया ..
अतः मर्जी आपकी आप कैसे करना चाहते है किस प्रकार करना चाहते है, फायदे भी आपके और कायदे भी

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